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यूरोजोन की इकॉनमी में सुधार के संकेत

Written By Unknown on Friday, February 14, 2014 | 11:15 AM




जोसफ बर्नाड, नई दिल्ली अमेरिकी इकॉनमी में सुधार के बाद यूरोजोन की अर्थव्यवस्था के भी पटरी पर लौटने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर में 17 देशों के यूरोजोन की आर्थिक विकास दर में उम्मीद और अनुमान से ज्यादा यानी 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे पूर्व तिमाही में यूरोजोन की विकास दर 0.1 प्रतिशत थी। अनुमान था कि दिसंबर को खत्म तिमाही में विकास दर ज्यादा से ज्यादा 0.2 प्रतिशत तक जा सकती है। साल 2012-13 में यूरोजोन की विकास दर नेगेटिव जोन में चली गई थी।

विशेषज्ञों और मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसे समय जब अमेरिकी फेड रिजर्व ने बॉन्ड खरीद योजना में कटौती शुरु कर दी है। अगर यूरोजोन की इकॉनमी में सुधार आता है तो यह भारत के लिये अच्छी बात होगी। ताजा आंकडों के अनुसार, इस अवधि के दौरान यूरोजोन के एक्सपोर्ट में 4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। इंपोर्ट एक फीसदी बढ़ा। ट्रेड सरप्लस 13.9 अरब यूरो हो गया है।

भारत की उम्मीद एक्सपोर्ट संगठन के पूर्व प्रेजिडेंट रामू. एस. देवडा का कहना है कि जर्मनी, फ्रांस जैसे बड़े देशों के संगठन यूरोजोन की हालत सुधरती है तो इसका भारत को जरूर लाभ होगा। भारत में यूरोजोन का निवेश बढ़ेगा। बेशक अभी कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, मगर यह साफ लग रहा है कि इन देशों का व्यापार संतुलन काफी सुधर रहा है। एक्सपोर्ट ज्यादा है और इंपोर्ट कम है। इन सरप्लस मनी का उपयोग ये देश कर सकते हैं।

डॉलर की तुलना में यूरो में ज्यादा मजबूती नहीं है। इन देशों के साथ भारत का कारोबार बढ़ना ज्यादा फायदेमंद होगा। सबसे अहम बात है कि यूरोजोन की स्थिति अगर ठीक होती है तो अमेरिका को भी अपनी कारोबारी रणनीति बदलनी पड़ेगी। अमेरिकी निवेशकों का जोर यूरोजोन की मार्केट की तरफ भी जाएगा। ऐसे में भारतीय मार्केट से मनी फ्लो का बाहर जाना कुछ हद तक रुकेगा।
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